गिरते रुपये पर लगाम लगाने के लिये रिजर्व बैंक ने उठाये कई महत्वपूर्ण कदम

खबर क्या है?

रिजर्व बैंक ने बुधवार को दुनियाभर में छायी आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की लगातार भारी गिरावट पर लगाम लगाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. जिसमें पहला विदेश में रहने वाले भारतीयों (NRI) के द्वारा भारतीय बैंको में जमा किये जाने वाले फण्ड के मानकों में कुछ छूट दी गई है. दूसरा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ( FPI) को लेकर छूट . तीसरा प्रमुख निर्णय भारतीय कंपनियों द्वारा लेने वाले विदेश से लेने वाले लोन से संबंधित नियमों में ढिलाई है. 

अब हम समझने क्रम से समझने की कोशिश करेंगे कि ये निर्णय कैसे रुपये को मजबूत करेंगे और विदेशी निवेश (FPI) को बढ़ाएंगे?

एक्सटर्नल कमर्शियल बोरोइंग (ECB) पर निर्णय?

आरबीआई ने एक वित्त वर्ष के ईसीबी सुविधा से लोन लेने की सीमा को 7500 लाख अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 150 करोड़ डॉलर कर दी है. यह सीमा बढ़ाने से अब भारतीय विदेशों से लोन ले सकेंगी. जिससे भारत में डॉलर की आपूर्ति बढ़ जायेगी. डॉलर की आपूर्ति बढ़ने से रुपया मजबूत स्थिति में आ जायेगा.


•इनआरआई (NRI) जमा के संबंध में बैंको को छूट?

सभी फॉरेन करेंसी नॉन रेसिडेंट (FCNR-B) और नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल (NRE) की डिपॉजिट पर बैंकों को छूट दी गई है. छूट इस बात की है कि यदि विदेशों में रहने वाले भारतीय यहां के बैंकों में फण्ड डिपॉजिट करते हैं तो बैंकों को अपने कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) और स्टैटूअरी लिक्विडिटी रेशियो (SLR) में इसे नही दिखाना पड़ेगा. सामान्य रूप में बैंको को अपनी कुल जमाओं (NDTL) का कुछ भाग सीआरआर (CRR) और एसएलआर (SLR) में रखना पड़ता है. जिससे बैंकों के फण्ड में कमी हो जाती है और उनकी लोन देने की क्षमता कम हो जाती है. अब जब बैंकों को यह छूट होगी तो वह ज्यादा से ज्यादा विदेशों में रहने वाले लोगों से पैसा जमा कराने के लिये प्रेरित करेंगे. जब एनआरआई (NRI) ज्यादा जमा करेंगे तो भारत में डॉलर आएगा और रुपये को मजबूती मिलेगी.


एफपीआई के संबंध में लिया गया निर्णय?

फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई (RBI) ने यह निर्णय लिया है कि अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) 7 और 14 साल वाली सरकारी बांड में भी निवेश कर सकते हैं. इससे पहले केवल 5, 10, और 30 साल के सरकारी बांड में ही एफपीआई (FPIs) निवेश कर सकते थे. विदेशी निवेशकों को इस नई कैटेगरी के बांड में निवेश करने की छूट मिलने से भारत पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा. जिससे गिरते रुपये पर लगाम लग सकता है.


रिजर्व बैंक ने क्या कहा?

आरबीआई ने अपने इन निर्णयों पर कहा कि दुनियाभर में छायी आर्थिक अस्थिरता को कम करने और वैश्विक मंदी का प्रभाव भारत पर कम करने के लिए हमने यह निर्णय लिया हैं. वहीं रिजर्व बैंक (RBI) ने यह भी कहा कि हमारा मुख्य ध्यान अभी देश में डॉलर के इनफ्लो (Inflow) को बढ़ाने का है. जिससे देश आर्थिक चुनौतियों से निपट सके. 

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रोहित 'रिक्की'

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